Friday, June 2, 2023

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कश्मीर में अल्पसंख्यकों की हत्याओं को रोक पाना, सुरक्षा बलों के लिए हुआ मुश्किल

22 अक्टूबर :- कश्मीर घाटी में हाल के दिनों में आतंकियो ने कई अल्पसंख्यों और प्रवासी मजदूरों की हत्या कर दी है। इससे यह साफ है कि घाटी में सब कुछ नियंत्रण में नहीं है। प्रवासी मजदूरों ने कश्मीर को छोड़ना शुरू कर दिया है। कश्मीर के एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने कहा है कि नई दिल्ली को यह दिखाने की बहुत जल्दी थी कि कश्मीर में सब कुछ सामान्य हो गया है जो कि ठीक नहीं था।कश्मीर में सुरक्षा बलों के सामने सबसे बड़ी चुनौती इन हत्याओं को करने वाली की पहचान करना है। यह काफी मुश्किल है। NIA के एक अधिकारी का कहना है कि आतंकियों के तौर-तरीकों में साफ तौर पर बदलाव आया है। यह जताने की कोशिश की जा रही है कि कश्मीर में विद्रोह आम कश्मीरी लोग ही कर रहे हैं और ये हत्याएं आर्टिकल 370 को निरस्त करने के फैसले के विरोध में हो रही हैं। NIA के एक अधिकारी ने राहुल पंडिता से बताया है कि पहले किसी लड़के का आतंकी बनने का अंदेशा साफ होता था। वह सुरक्षा बलों पर पथराव करता। इसके बाद वह ट्रेनिंग को जाएगा। हथियार के साथ एक दिन उसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर आ जाएगी और ऐसे कई तरीके हैं। लेकिन ये हालिया हत्याएं उन लोगों ने की हैं जो पुलिस के रडार से नीचे रहने में कामयाब रहे हैं। इनकी कोई तस्वीर नहीं है। इनकी कोई बड़ी घोषणा नहीं है। ऐसे में ये निगरानी में भी नहीं रहे हैं।हालांकि जम्मू और कश्मीर पुलिस ने हाल में कुछ आतंकियों को मारा है जिसके बारे में दावा किया जा रहा है कि वे इन हत्याओं के लिए जिम्मेदार थे। लेकिन अभी यह कहना जल्दबाजी हो सकती है। क्योंकि हमने हाल में देखा है कि छोटे प्यादों को मारकर हमने जश्न मनाया फिर बाद में पता चला है कि मास्टरमाइंड तो कई और है। और यही कारण है कि कुछ हत्याओं के केस NIA को सौंप दिए गए हैं। NIA के डॉक्यूमेंट्स बताते हैं कि स्थानीय कश्मीरियों के साथ ही सीनियर पुलिस अधिकारियों के परिवारों को भी नुकसान पहुंचाया जा सकता है। अगले कुछ दिनों में यह साफ हो सकता है कि इन हत्याओं के पीछे कौन हैं और भारतीय सुरक्षा बल आतंकियों को लेकर क्या रवैया अपनाती है। अधिकारी बताते हैं कि इस लड़ाई को जीतने के लिए खाका बदलने की जरूरत पड़ सकती है।

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