जीवित्पुत्रिका व्रत यानि जितिया को महिलाओं के सबसे कठिन व्रतो में शामिल किया जाता है। छठ की तरह तीन दिनों तक चलने वाला यह व्रत बच्चों की लंबी उम्र और संपन्नता के लिए रखा जाता है। इस व्रत में निर्जला यानि बिना पानी के पूरे दिन उपवास किया जाता है।

हिंदु पंचांग के अनुसार जितिया का पावन पर्व आश्विन मास में कृष्ण पक्ष के सातवें से नौवें चंद्र दिवस तक मनाया जाता है। इस पर्व की धूम उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में अधिक देखने को मिलती है। इस बार जितिया का पावन पर्व 28 से 30 सितंबर तक मनाया जाएगा। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस व्रत का महत्व महाभारत काल से जुड़ा हुआ है।छठ की तरह जीवित्पुत्रिका व्रत यानि जितिया को महिलाओं के सबसे कठिन व्रतो में से एक माना जाता है। इस दिन माताएं अपने संतान की लंबी उम्र व सुख शांति की प्राप्ति के लिए निर्जला व्रत करती हैं। व्रत की शुरुआत सप्तमी तिथि से नहाए खाए से होती है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले स्नान कर व्रत का संकल्प लेती हैं। आपको बता दें छठ की तरह इस दिन भी केवल एक बार ही भोजन किया जाता है। तथा अष्टमी के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और नवमी के दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देकर पारण किया जाता है।