फरीदाबाद,12 सितम्बर : नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल द्वारा खुली बोली में नीलाम किए गए कारखाने को अब खरीदने वाले मालिकों को परेशान किया जा रहा है। मालिक साहिल विरमानी ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया कि एनसीएलटी ने अखबारों में एक विज्ञापन दिया था कि वह मथुरा रोड स्थित एक कारखाने द्वारा बैंक लोन न चुकाने के कारण खुली बोली लगाई जाएगी, जिसमें 3 अन्य बोलीदाताओं के साथ साहिल विरमानी व स्वर्गीय देवेंद्र उर्फ पप्पू ने मार्स इंफ्रा इंजीनियरिंग कंपनी के नाम से 52 करोड 83 लाख की सबसे ज्यादा बोली लगाकर उसे खरीद लिया। उसके बाद कारखाने के मालिक करन गंभीर ऊपरी अदालत में चला गया और कहा कि मेरी जमीन मार्किट भाव से सस्ती बेच दी है, परंतु एनसीएलटी के फैसले को सही मानते हुए अदालत ने गंभीर पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया जोकि प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा करवाने के आदेश दिए। इसके बाद करन गंभीर ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की बात सुनते हुए जनवरी में फैसला दिया कि निचली अदालत का फैसला सही है और इसमें दखलांदाजी से मना कर दिया। उसके बाद विरमानी ने अदालती आदेश दिखाते हुए तहसील के लिक्विडेटर से बयनामा करवाया और उसका दाखिला खारिज भी करवाया। इसके बावजूद भी दूसरा पक्ष कई तरह के आरोप लगा रहे हैं जोकि गलत है जिसके लिए श्री विरमानी ने कहा कि वह वकीलों से राय लेकर मानहानि का दावा करेंगे। वहीं इस बारे में करन गंभीर ने एप्लेट ट्रिब्यूनल में एक केस फाइल किया है जिसकी सुनवाई के लिए 21 सितंबर की तारीख लगी हुई है।
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