3 जुलाई, फरीदाबाद। जिला उद्यान अधिकारी डॉ. रमेश कुमार ने बताया कि जिला के प्याला गांव में एमपीएमवी/जलशक्ति अभियान के तहत उद्यान विभाग द्वारा पंजीकरण के लिए जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि इस दौरान किसानों को जल शक्ति अभियान एवं उद्यान विभाग की विभिन्न योजनाओं से रूबरू करवाया गया और किसानों को अपने खेतों में बागवानी फसलों को अपनाने के लिए प्रेरित भी किया गया। जिसमें किसानों को सरकार द्वारा जारी हिदायतों के अनुसार जल संरक्षण के बारे मे बारीकी से जानकारी दी।
उन्होंने आगे यह बताया कि शिविर में जलशक्ति अभियान के तहत पंजीकरण के लिए किसानों का एमपीएमवी और जल सरंक्षण के बारे में मूल्यांकन भी किया गया। डॉ. रमेश कुमार ने बताया कि किसान फसलों में विविधीकरण अपना कर धान को छोड़कर बागवानी फसलों की तरफ रुख करें। उन्होंने जागरूकता शिविर में बताया कि जल शक्ति अभियान भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है और यह हमारी भावी पीढ़ियों के लिए एक जन अभियान है।
जल शक्ति अभियान के तहत बागवानी विभाग किसानों को ऐसी फसलें उगाने के लिए प्रेरित कर रहे है। जिसमें सिंचाई के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है। जैसे कि बाग लगाना और ड्रिप सिंचाई के माध्यम से सब्जी की खेती शामिल हैं।
किसानों को ड्रिप सिंचाई अपनाने के लिए प्रेरित करना है क्योंकि ड्रिप सिंचाई के मामले में जल उपयोग दक्षता 90 प्रतिशत से अधिक है जबकि बाढ़ सिंचाई के मामले में जल उपयोग दक्षता लगभग 30-35 प्रतिशत है।
उन्होंने यह भी बताया कि किसानों को फसलों में मल्चिंग का उपयोग करने के लिए प्रेरित करना है क्योंकि वाष्पीकरण के माध्यम से पानी की हानि कम होती है। ड्रिप द्वारा अधिक क्षेत्र की सिंचाई करें। यदि किसान ड्रिप सिंचाई को अपनाते हैं तो उत्पादन और गुणवत्ता में भी वृद्धि होगी और इससे किसानों की आय में भी वृद्धि होगी।
डॉ. रमेश ने आगे बताया कि प्रशिक्षण शिविर सभी किसानों को उनकी दैनिक आवश्यकता में पानी के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए प्रेरित करता है। किसानों को अपने खेतों में वर्षा जल संचयन प्रणाली अपनाने के लिए प्रेरित करना है। उद्यान विभाग किसानों को धान से बागवानी फसलों की ओर मोड़ने के लिए प्रेरित कर रहा है और विभाग नए बागों में अमरूद, नींबू, बेर की स्थापना और सब्जी की खेती पर भी सब्सिडी प्रदान कर रहा है। उन्होंने बताया कि सीसीडीपी योजनाओं के तहत अधिसूचित क्लस्टर गांवों में सब्जी की खेती करने पर विभाग किसानों को जल शक्ति अभियान से अवगत करा रहा है। जल शक्ति अभियान से जुड़कर हम बरसाती पानी का अधिक से अधिक संचयन करें। जल संरक्षण के लिए बनाए जा रहे स्रोत आने वाली पीढिय़ों के भी काम आएगा। बारिश के पानी को व्यर्थ न जाने दें। जल शक्ति अभियान में शामिल जल संचयन के स्रोत पुराने तालाबों, कुओं व टैंक आदि को जीवित करने में सहायता करेगा व साथ-साथ पौधारोपण भी करेगा।
उन्होंने यह बोला कि उद्यान विभाग द्वारा जिले के हर गांव में एक जागरूकता मेला लगाया जाना है। जल शक्ति अभियान में “कैच दी रेन” शामिल है, जिसमें बारिश के पानी की एक-एक बूंद का संचय करना होगा। रेन वाटर हार्वेसटिंग सिस्टम बनाना भी शामिल है।