फरीदाबाद, 22 मार्च | हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस दुनिया भर में मनाया जाता है| विश्व जल दिवस की शुरुवात सन 1993 में हुई थी| युनाईटेड नेशन के मुताबिक ये दिन न सिर्फ पानी की अहमियत समझने के लिए मनाया जाता है ब्लकि पानी से जुड़ी तमाम जागरूकता पैदा करना भी इसका मकसद है|
शहरों के ट्यूबवेल व तालाब सूखने लगे हैं| ग्राउंड वॉटर लेवल नीचे जाने के कारण पानी की किल्लत बढ़ती जा रही है| शहर में रहने वाले 20 लाख लोगों को भरपूर पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है| इसका फायदा टैंकर और आरओ माफिया उठा रहे हैं| गली-गली में खुले आरओ प्लांट अवैध रूप से ट्यूबवेल लगाकर जमीन का पानी खींच रहे हैं| ग्राउंड वॉटर को रिचार्ज करने के लिए स्थानीय प्रशासन व लोग पुख्ता प्रयास नहीं कर पा रहे हैं| नतीजा यह है कि आज भी शहर में पानी सप्लाई करने वाले रेनीवेल पर बोझ बढ़ता जा रहा है| जिससे उसका भूजल स्तर भी नीचे जा रहा है|
पानी से जुड़े खास फैक्ट्स:-
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, सुरक्षित पेयजल के बिना 3 में से 1 व्यक्ति रहता है. दुनिया की आधी आबादी 2025 तक जल-तनावग्रस्त क्षेत्रों में रह रही होगी|
- दुनिया में लगभग 2.2 बिलियन लोग सुरक्षित पानी के बिना रह रहे हैं|
- हमारी पृथ्वी का तीन चौथाई भाग पानी से ढका है. परंतु क्या आप जानते हैं| इस जल का 99% पानी पिया नहीं जा सकता और पीने योग्य पानी पृथ्वी पर मात्र 1% ही है|
- विश्व का 90% ताज़ा पानी अंटार्कटिका में पाया जाता है|
दशकों से भारत का जल प्रबंधन गैर टिकाऊ रास्ते पर है| जिसके चलते पेयजल, कुकिंग और साफ-सफाई जैसी मूल इंसानी जरूरतों के लिए ही नहीं, औद्योगिक, व्यावसायिक, कृषि और पर्यावरणीय उद्देश्यों के लिए भी उपयुक्त गुणवत्ता वाला जल उपलब्ध नहीं हो रहा है। देश का कोई भी एक शहरी क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां सीधे सार्वजनिक आपूर्ति वाले पानी का इस्तेमाल किया जा सके| आज़ादी के समय भारत की 36.1 करोड़ आबादी आज 138 करोड़ हो चुकी है| 2050 तक इसके 164 करोड़ हो जाने के अनुमान हैं|
आज़ादी के बाद हमें कुल पानी किस मात्रा में मिल रहा है:-
- 1600 ट्यूबवेल से हर रोज़ 90 एमएलडी पानी मिल रहा है
- 110 एमएलडी पानी रेनीवेल से हर रोज़ मिल रहा है
- 200 एमएलडी पानी हर रोज़ मिल रहा है शहर को
- बाकि, 62 एमएलडी पानी की कमी टैंकर माफिया पूरी कर रहे हैं
जिस गति से यहां आबादी में तेज़ वृद्धि हुई वैसे ही आर्थिक गतिविधियों और शहरीकरण में इजाफे का अनुपात बढ़ा। सभी इंसानी गतिविधियों के लिए पानी की दरकार है। जब आबादी, शहरीकरण और आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ती हैं तो उसी अनुपात में जल की जरूरत भी बढ़ती है। विडंबना यह हुई कि जल प्रबंधन के अभाव में इसकी गुणवत्ता तेज़ी से गिरती गई। लगातार अपने खराब जल प्रबंधन के चलते देश की वर्तमान पीढ़ी जल संकट के सबसे खराब दौर से गुजर रही है। न्यूज़ एनसीआर की टीम की तरफ़ से यह अपील है की पानी की महत्वता को समझते हुए पानी बचाए| पानी का उपयोग करें, न की दुरुपयोग करें|