न्यूज़ एनसीआर, 05 सितंबर-पलवल | शिक्षा शब्द सामने आते ही हमारे जेहन में अपने प्रिय शिक्षक की तस्वीर उभरने लगती है सिर्फ तस्वीर ही नहीं वह शिक्षक के साथ बिताए हुए हर वह सुनहरे पल भी दिल और दिमाग पर जिंदा होते हैं युग युगांतर ओं से शिष्य अपने हिस्से का सब कुछ छोड़कर गुरु सेवा को ही अपना अग्रिम धर्म समझता था। गुरु का स्थान तो भगवान से भी ऊपर बताया जाता है यही कारण है कि शिक्षक दिवस का हमारा देश में बहुत महत्व रखा जाता है आज शिक्षक दिवस के अवसर पर अपने गुरु की महिमा के बारे में शिक्षिका अंजली नागपाल ने बताया की यूं तो आधुनिक युग में पुरातन हो चुकी शिक्षक की परिभाषा बदल चुकी है 21वीं सदी का शिक्षक महज अध्यापक नहीं है बल्कि वे छात्रों के लिए एक पूर्ण पैकेज बनकर उभरा है । शिक्षक के द्वारा दिया हुआ ज्ञान कभी कम नहीं होता और ना ही यह कभी चोरी होता है ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती और ना ही कभी इसके भी उम्र देखी जाती है शिक्षा हर उम्र में पाई जा सकती है हर व्यक्ति के मन में शिक्षा पाने की एक लगन होना बेहद जरूरी है ।
उन्होंने बताया आधुनिक युग में पुरातन हो चुकी शिक्षक की परिभाषा बदल चुकी है 21वी सदी का शिक्षक महज अध्यापक नहीं बल्कि वह अपने छात्रों का दोस्त और काउंसलर बन चुका है रूढ़िवादिता का स्थान रिक्त होता जा रहा है तथा नवीन सोच में कार्यशैली वाले शिक्षक नए भारत का निर्माण कर रहे हैं समय एवं छात्रों की मांग के अनुरूप हर शिक्षक को बदलना होगा । आधुनिकता के इस दौर में हर छात्र अब होशियार हो चुका है आज हर सूचना उसकी उंगली की एक क्लिक पर उपलब्ध है ऐसे में उसे रूढ़ीवादी अध्यापक नहीं बल्कि एक संवाद सहयोगी की जरूरत है। जो अपने विचारों को सुन सके तथा उन्हें सही दिशा में संचार एवं संवाद सके अध्यापक छात्र एवं उसके अभिभावकों के बीच एक पुल का काम करता है । क्योंकि याद रहे आपका हर एक कदम एक छात्र का भविष्य निर्धारित कर रहा है। अध्यापकों को उनकी नई परिभाषा एवं कार्य क्षेत्र बताते हैं कि आज छात्र की मानसिकता पर ज्यादा बल दिया जाना चाहिए ना कि सदियों पुरानी रट्टा लगवाने एवं परीक्षा लेने की पद्धति पर जोर देना चाहिए ।